लोग प्रायः अपने प्रेम की रक्षा करने के लिए और उसे बनाए रखने के लिए झूठ बोलते हैं। उन्हें डर रहता कि सच्चाई उनके प्रेम को हानि पहुँचा सकती है। लेकिन जब उन्हें विश्वास हो जाता है कि उनका प्रेम इतना दृढ़ है कि सत्य न तो उसे तोड़ सकता है और न ही कड़वाहट पैदा कर सकता है, तब सत्य की जीत होती है और प्रेम प्रकाशित हो उठता है।

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